शिवराज सिंह चौहान आज रात 9 बजे रिकॉर्ड चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्ममंत्री पद की शपथ लेंगे। वे राज्य के 32वें मुख्यमंत्री बनेंगे। इससे पहले दिसंबर 2018 तक लगातार 13 साल प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। शिवराज से पहले अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज ने बुधनी से कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव को 60 हजार वोटों से हराया था। शिवराज तो चुनाव जीत गए, लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनाने में असफल रही। शिवराज के बारे में कहा जाता है कि जब वह 9 साल के थे, तब उन्होंने गांव के मजदूरों को दोगुना वेतन देने के लिए आंदोलन किया था।
ऐसे मिला था सांसद बनने मौका
बात 1991 की है। लोकसभा चुनाव में लखनऊ और विदिशा सीट से चुनाव जीतने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ को चुना था। इसके बाद शिवराज यहां से उपचुनाव लड़े और जीते। इस दौरान वे शहरी स्वर्णकार कॉलोनी में छोटा-सा मकान किराए पर लेकर रहने लगे। उनके निवास पर लोगों का आना-जाना बढ़ा तो यह मकान छोटा पड़ने लगा। बाद में विदिशा के शेरपुरा स्थित दोमंजिला भवन को किराए पर लिया। यहीं से शिवराज राजनीतिक और पारिवारिक कार्यक्रम करवाते थे।
दिग्विजय से हारे थे शिवराज
शिवराज राजनीतिक करियर में एक बार चुनाव हारे हैं। 2003 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शिवराज को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ राघौगढ़ से खड़ा किया। तब उमा भारती भाजपा से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार थीं। यह चुनाव शिवराज हार गए। चौहान को भी पता था कि राघौगढ़ से दिग्विजय को हराना मुश्किल है, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ना स्वीकार किया।